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मज़ा भी ज़िन्दगी का ख़ूब आया / संजू शब्दिता

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मज़ा भी ज़िन्दगी का ख़ूब आया
हमें हंसना - हंसाना ख़ूब आया

हमारी दस्तरस में था कहाँ वो
मगर जब हाथ आया ख़ूब आया

हक़ीक़त तो मेरी सहरा है लेकिन
मेरे हिस्से में दरिया ख़ूब आया

बचा रक्खे थे हमने गम के आँसू
हमें खुशियों में रोना ख़ूब आया

गुमाँ में चूर है दरिया का पानी
किनारे पर जो प्यासा ख़ूब आया