भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मतवाले बादल / केवल गोस्वामी

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:19, 28 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केवल गोस्वामी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आसमान पर छाए बादल!
गहरे बादल, काले बादल,
दल बाँधे मतवाले बादल!

सूरज को दी मात अचानक,
दिन में कर दी रात अचानक,
करी अनोखी बात अचानक!

लोगों को हैरानी थी यह,
सच था, नहीं कहानी थी यह,
कुदरत की मनमानी थी यह!

हाथ को हाथ नजर न आता,
रस्ते चलता ठोकर खाता,
उठता, चलता, फिर गिर जाता!

पूछो इसे कहाँ से आया,
किसने भेजा, कौन है लाया,
आ इसने सबको भरमाया!

आँखें खोलो, पोंछो काजल,
कहीं नहीं है काले बादल,
ये तो है बस काजल का छल!