भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मधुमासको / रत्न शमशेर थापा

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:51, 21 मई 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मधुमासको यो दिलको बाग
नफुलिकन उजाड भो
आशा अनि अभिलाषा
मनको मनमै रह्यो
मधुमासको…

हाँसो खुसि र चैन सबै
आँशु बनी रह्यो
मायाको ज्योति आँधीले
दूर कतै लाग्यो
बदली अचानक छाई
जिबन निरास भो
मधुमासको…