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मन पाखी बेचैन / प्रेम शर्मा

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मितवा
मन पाखी बेचैन ।

             प्रान पिरावा
             अगिन जरावा,
सुख-दुख
ये संसार छलावा,
             पल-छिन आवा
             पल-छिन जावा,
             साँसत में दिन-रैन ।

गाते बीती
राग-मजूरा
             मन का
             बाऊल गान
             अधूरा
गह निकसे
कण्ठ रूँआसे
विद्यापति के बैन ।