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मन भावन के घर जाए गोरी / शैलेन्द्र

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मन भावन के घर जाए गोरी
घूँघट में शरमाए गोरी
बंधी रहे ये प्यार की डोरी
हमें ना भुलाना...

बचपन के दिन खेल गंवाए
आई जवानी तो बालम आए
तेरे आंगन बंधे बधाई गोरी
क्यों नैना छलकाए गोरी
हमें ना भुलाना...

इस दुनिया की रीत यही है
हाथ जो थामे मीत वही है
अब हम तो हुए पराए गोरी
फिर तेरे संग जाए गोरी
हमें ना भुलाना...

मस्ती भरे सावन के झूले
तुझको कसम है जो तू भूले
अब के जब वापस आए गोरी
गोद भरी ले आए गोरी
हमें ना भुलाना...