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महामन्त्र का जन-जन में गुंजार करें / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'

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मानवता के महामन्त्र का जन-जन में गुंजार करें
आओ मिलकर राष्ट्रधर्म को हम सब अंगीकार करें

सबल संगठन शक्ति, सुरक्षा कवच हमारा अपना है
खंड-खंड होकर अखंडता का भी अक्षर सपना है,
भीतर-बाहर शत्रु बढ़ रहे सबको सबक सिखाना है,
विजय पताका अपनी आगे बढकर फिर फहराना है

निजी स्वार्थ सब त्याग पूर्वजों के सपने साकार करें
आओ मिलकर राष्ट्र धर्म को हम सब अंगीकार करें

सुख-सुविधा में पलने वाले अपनी-अपनी आँखें खोंलें,
पढ़ लें कुछ इतिहास देश की संस्कृति से परिचित होलें
अट्टहास आतंक कर रहा आखिर क्यों हम मौन बनें?
शंखनाद करने को रण में नायक बोलो कौन बनें?

आह्वान कर रही धरित्री फिर ऊँची तलवार करें
आओं मिलकर राष्ट्रधर्म को हम सब अंगीकार करें

दूध पिलाने वालों पर ही फन फैलाये हैं विषधर
देते उगल गरल जैसे भी जब भी पाते हैं अवसर
घोर पश्चिमी दुराचरण भी आँगन तक बढ़ आये हैं
देश-धर्म-संस्कति पर संकट के बादल मँडराये हैं

राष्ट्र प्रवंचक कालनेमियों का सत्वर संहार करें
आओ मिलकर राष्ट्रार्म को हम सब अंगीकार करें