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माटी कोड़े गेली हम आज मटिखनमा / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माटी कोड़े गेली<ref>गई</ref> हम आज मटिखनमा<ref>मिट्टी वाली खान, जिस खान गढ़े से मिट्टी निकाली जाती है</ref>
इयार<ref>यार, प्रेमी</ref> मोरा पड़लन, हाय जेहलखनमा<ref>जेलखाना, कारागृह</ref>॥1॥
पियवा के कमइया<ref>कमाई, उपार्जन</ref> हम कछु न जान ही।
इयार के कमइया नकबेसर<ref>नाक में पहना जाने वाला एक आभूषण</ref> हुई<ref>है</ref> हे ननदो<ref>ननद पति की बहन</ref>॥2॥
ओही नकबेसर धरी इयार के छोड़यबो<ref>छुड़ाऊँगी।</ref>।
इयार मोरा पड़लन हाय जेहलखनमा॥3॥

शब्दार्थ
<references/>