भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माटी सूखी : माटी डूबी / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:51, 20 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री आँख सूं / सांवर दइया }} [[Ca…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माटी सूखी
बादळ सूखा
साव सूखा सावण रा स्सै रंग-राग
पाणी बिना
मरै मिनख
गोठां करै गिरज-काग

बिरखा री बाट जोवती आंख्यां
      रैयगी फाटी री फाटी !

माटी डूबी
मिनख डूब्या
डूब्या सूरज-चांद
चौफेर तिरै ल्हासां
ल्हासां नै ल्हासां ई देवै खांध

बेथाग बरसी बिरखा बाळणजोगी
बची कोनी
कोई चीज कठै ई किणी जोगी !