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मास्टर साहेब कहावऽ ही / सिलसिला / रणजीत दुधु

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ने पढ़ऽ ही ने पढ़ावऽ ही,
मास्टर साहेब कहावऽ ही।

डियुटी हम्मर आवा जाही
नउकरी न´ हे बादशाही
घुस में नमरी गंडा गाही,
फोकट में बेतन उठावऽ ही
मास्टर साहेब कहावऽ ही।

परीच्छा में करवऽ ही चोरी
पढ़ाय में सुनवऽ ही लोरी
छुट्टी में कवाड़ऽ ही मोरी
कुछ पुच्छे पर छड़ी घुमावऽ ही
मास्टर साहेब कहावऽ ही।

बिन पढ़ले चेला होल एम.पी.
जे पढ़ल होल जी.जी.एम.पी.,
कत्ते हो गेल एल.एल.पी.सी.
राष्ट्रपति से हाथ मिलावऽ ही
मास्टर साहेब कहावऽ ही।

गुरू द्रोण बसिस्ठ से ऊपर ही
गुरूओं में सबसे सूपर ही
न´ रवीन्द्रनाथ न´ मार्टिन लूथर ही
कागज कलम न´ उठावऽ ही,
मास्टर साहेब कहावऽ ही।

तरमन्ना में पीयऽ ही ताड़ी,
रस्ता में पिटऽ हे नारी,
सुत उठ चिलीम चढ़ावऽ ही
मास्टर साहेब कहावऽ ही।

खा ही अभिभावक से जुत्ता-लात।
जब पकड़ा ही हम काटते बात,
तब डिड़ियावऽ ही जात-जात।
अफसर के तरबा सहलावऽ ही
मास्टर साहेब कहावऽ ही।

अब तो शिच्छक के अंक चेला दे तो
देखते जा कइसन-कइसन खेला हो तो
मदाड़ी बानर जइसन मेला हो तो
जयसन करनी हम कर रहलूँ हन,
बिना वेतन के ही खटना हे,
अभी नियत वेतन पावऽ ही।
मास्टर साहेब कहावऽ ही।