भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मिलि माधवी आदिक फूल के ब्याज / शृंगार-लतिका / द्विज

Kavita Kosh से
Himanshu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:02, 2 जुलाई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुर्मिला सवैया
(व्यंग्य से वसंत को आशीर्वाद देना)

मिलि माधवी आदिक फूल के ब्याज, बिनोद-लवा बरसायौ करैं ।
रचि नाचि लतागन तानि बितान, सबै बिधि चित्त-चुरायौ करैं ॥
’द्विजदेव’ जू देखि अनौखी प्रभा, अलि-चारन कीरति गायौ करैं ।
चिरजीवौ बसन्त सदाँ ’द्विजदेव’, प्रसूनन की झरि लायौ करैं ॥२८॥