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मीरा को फिर नचाओ / उर्मिल सत्यभूषण

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तुम ही करवाओंगे मुझसे सब कुछ श्रीकृष्ण!
यह मात्र प्रलाप नहीं
काव्य चेतना का संकल्प है
यह कृष्ण लीला की प्रगाढ़ अनुभूति है।
जो मेरी नस-नस में,
मेरे मन-मस्तिष्क में और मेरी आत्मा में
व्याप्त हो गई है।
हे योगिराज! मुझे निमित्त बना
कर लीला करो प्रभु!
सुदर्शन चक्र घुमाओ प्रभु
दिशाहीन अर्जुन को फिर-फिर
समझाओ प्रभु!
मेरी विनय स्वीकार करो श्रीकृष्ण!
मीरा को फिर नचाओ
गोपाल!