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मुंहिंजी लिंव लिंव दांहू करे करे / लीला मामताणी

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मुंहिंजी लिंव लिंव दांहू करे करे
सखियूं कृष्ण खां हिकिड़ो पल थियां न परे परे

सदा मोहन सां मां घारियां
दिलि तां कीन भुलायां
रहां मां मोहन जे संग में
शल अहिड़ो भाॻ वरे-मुंहिंजी लिंव लिंव...

दर्शन लाइ मां आहियां दीवानी कृष्ण अची थीउ साणी
तो बिन मां आहियां वेॻाणी, हाणे अचु दिलड़ी ठरे
मुंहिंजी लिव लिव...

मञ मिठा हाणे मुंहिंजी मर्ज़ी
तो दर आई ‘निमाणी’
कीन विसारिज हाणे मोहन
तो बिन पल न सरे सरे
मुंहिंजी लिव लिव...