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मुझे नहीं पता / रोज़ा आउसलेण्डर

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नहीं पता मुझे
दिन किस तरह
बदल जाता है
शून्य में
रात
शून्य में I

दिन और रात
नहीं पता मुझे
कहाँ से कहाँ तक
है शून्य

उससे
सृजन करती हूँ मैं
संसार
गति का
और
अमन का II


मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित