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मुझे बता कर / ख़ालिद कर्रार

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मुझे बता कर
के मेरी सम्त-ए-सफ़र कहाँ है
कई ख़ज़ानों के
बे-निशान नक़्शे
मुझे थमा कर
कहा था उस ने के सातवें दर से और आगे
तुम्हारी ख़ातिर
मेरा वो बाब-ए-बक़ा खुला है
मगर
वहाँ पर तमाम दर वा थे मेरी ख़ातिर
वो सातवाँ दर खुला नहीं था
मगर वहाँ पर
कोई भी राज़-ए-बक़ा नहीं था
तमाम अज्साम थे सलामत
कोई भी ज़िंदा बचा नहीं था
कोई भी मेरे सिवा नहीं था
वहाँ भी कोई ख़ुदा नहीं था