भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी पतंग / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उतने ही मेरी पतंग में
इन्द्रधनुष में जीतने रंग हैं।

इन्द्रधनुष में सात रंग हैं।
यह भी रंग लिए हैं सात,
इन्द्र धनुष की तरह बादलों-
से यह भी करती हैं बात।
उड़ती सदा हवा के संग।

फर फर उड़ती आसमान में,
देती नहीं दिखाई डोर,
ठुमके देते ही उड़ जाती,
इसे मोड सकते हर ओर।
देख सभी रह जाते दंग।