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मेरी बला से सारी दुनिया उजड़े या आबाद रहे / नासिर परवेज़
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मेरी बला से सारी दुनिया उजड़े या आबाद रहे
तेरी ख़ुशबू जिस में बसी है वो कमरा आबाद रहे
आशिक़ और मअशूक़ का रिश्ता और ज़ियादा पुख़्ता हो
तेरे ज़ुल्म-ओ-जौर सलामत, दिल मेरा आबाद रहे
मेरे घर की दीवारों पर बर्बादी का क़ब्ज़ा है
तेरी गली को जाने वाला हर रस्ता आबाद रहे
सुब्ह सवेरे ख़ाब में देखा, मुझ से कोई ये कहता था
इक तू ही बर्बाद रहे और जग सारा आबाद रहे
इल्म-ओ-हुनर का मरकज़ है और शहर है जौन ओ नासिर का
जब तक चान्द सितारे चमकें अमरोहा आबाद रहे