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मेरी बातें / पूनम तुषामड़

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जब-जब मैं बोलूंगी
मेरी बातें बज उठेंगी
तुम्हारे कानों में नगाड़े-सी
ज्यादा देर शायद
न कर पाओ तुम इसे बर्दाश्त
पर फिर भी मैं कहूंगी अपनी बात
हर बात...
क्योंकि
बात निकली है तो फिर
दूर तलक जाएगी
कई आवाजें और बुलंद होंगी मेरे साथ
जो दबी थीं कई सदियों से...!