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मेरी माँ / मनीष मूंदड़ा

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ममत्व की मूरत
शक्ति की पूरक
हृदय में प्यार अपार
शांत शीतल मन
हमेशा तत्पर रहने का प्रण
श्रद्धेय, स्नेही, निश्चल, निर्मल
यद्यपि अति साधारण
मेरी माँ

जन्म दिया
ऊँगली पकड़ के चलना सिखाया
सिखा तुमसेय देखना, समझना, परखना
इस दुनिया को
जीवन की नैया को, संभालना
दुरूख के भवसागर पार करना
सुख के अवसर मिल बाँट करना
ये सब भी तो तुमने ही बताया
मेरी माँ

कहाँ तय कर पाता
जीवन का यह लम्बा सफ र
रातों को जागना
संयम रखना
हर मुश्किल में अपनों को संभालना
सभी कुछ तो तुम्हीं से समझा, सीखा, परखा
मेरा अस्तित्व तुझसे अर्जित
यह जीवन तुझको समर्पित
मेरी माँ