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मेरी हर आहट पे तेरा ध्यान है / मदन मोहन दानिश
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मेरी हर आहट पे तेरा ध्यान है ।
ज़िन्दगी तेरा बड़ा एहसान है ।
रतजगों से हम अकेले ही नहीं,
रात भी आबाद है, गुंजान है ।
ख़ूब है यह ज़िंदगी का रंग भी,
गुल नहीं, गुलशन नहीं, गुलदान है ।
होशियारी से बताओ क्या मिला,
फ़ायदे में फिर वही नादान है ।
इब्तदाए इश्क़ में दानिश हमें,
लग रहा था ये सफ़र आसान है ।