भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे सीने में ग़मे दिल का धुवां रहने दो / सिया सचदेव
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:59, 27 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिया सचदेव }} {{KKCatGhazal}} <poem> दर्द जो दिल म...' के साथ नया पन्ना बनाया)
दर्द जो दिल में निहाँ है सो निहाँ रहने दो
मेरे सीने में ग़मे दिल का धुवां रहने दो।
बड़ी मुश्किल से जगह पाई तुम्हारे दिल में
कम से कम अब मुझे दो पल तो यहाँ रहने दो।
मेरे एहसास से अफ़कार जनम लेते हैं
मेरे एहसास जवां है तो जवां रहने दो।
तुम्हें शोहरत की तमन्ना मुझे गुमनामी का शौक़
मेरे यारो मुझे बे नामो निशां रहने दो।
मुझे मालूम है क्या क्या है तुम्हारे दिल में
प्यार का लहजा मोहब्बत की ज़बां रहने दो।
अब वह आये हैं तो उनसे कोई शिकवा न करो
आज के दिन तो "सिया" तल्ख़ बयां रहने दो।