भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेलजोल / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:58, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रोज-रोज नूनू स्कूल जो
जेहा जुड़ै, मिलीजुली खो,
खैला सेॅ पहिने हांथ-मू धो,
नो सं पहिने कहियो नै सो,
आपनों सेॅ बड़का केॅ कहिहऽ हो,
रोज-रोज नूनू स्कूल जो।

खोड़ा-पहाड़ा करिहऽ याद,
ओन-पानी नै करऽ बरवाद,
घोर-दुआर केॅ बोढ़ी-सोढ़ी,
फेकऽ खेत मं समझी खाद,
समय मिलं तेॅ, माल-जाल कं,
सानी-पानी भूस्सा, दीहऽ नाद।

नै करिहऽ साथी सेॅ झगड़ा,
वे मतलव नै लीहऽ रगड़ा,
पढ़ी-लिखी केॅ बनिहऽ तगड़ा।