भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं अलबेली गुदाय आई गुदना / अवधी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:14, 29 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अवधी }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मैं अलबेली गुदाय आई गुदना
मैं जो गई पानी भरने संग गए अपना
टूट गयी रस्सी लटक गये अपना
मैं अलबेली...
मैं जो गई रोटी करने संग गए अपना
फूल गई रोटी पिचक गए अपना
मैं अलबेली...
मैं जो गई छोटी करने संग आये अपना
टूट गई कंघी चटक गए अपना
मैं अलबेली...