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मैंने यूँ चाहा उसे ख़ुद से बड़ा कर देना / अमित गोस्वामी

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मैंने यूँ चाहा उसे ख़ुद से बड़ा कर देना
अपने सजदों से उसे बुत से ख़ुदा कर देना

यूँ तो आदत है जफ़ा सहने की, लेकिन फिर भी
तुम दग़ा दो तो मेरी जान बता कर देना

जो सज़ा देनी हो दो, पर कोई इल्ज़ाम तो हो
नाम मेरे कोई अपनी ही ख़ता कर देना

तुम वफ़ा−ख़ू1 हो मेरा इतना भरम रह जाए
अब किसी और को चाहो, तो वफ़ा कर देना

ज़ख़्म भर जाता है कुछ शाम तक आते आते
शम’अ जल जाए तो फिर ज़ख़्म हरा कर देना

मशवरा है ये बिरहमन2 का, बड़े काम का है
अब के दिल, हाथ नुजूमी3 को दिखा कर देना



1. वफ़ा पसंद 2. ब्राह्मण 3. ज्योतिषी