भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैना वंती हो माता / निमाड़ी

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    मैना वंती हो माता,
    नीर भरयो वो थारा नैन म

(१) क्यो बठ्यो रे बेटा अनमनो,
    आरे क्यो बठ्यो उदास
    दल बादल सब चड़ी रया
    बरसः आखण्ड धार...
    नीर भरो थारा...

(२) नही वो माता हाऊ अनमनो,
    आरे नही बठ्यो उदास
    कोई कहे रे जब हाऊ कहूँ
    करु सत्या हो नास...
    नीर भरो थारा...

(३) नही रे बादल नही बीजळई,
    आरे नही चलती रे वाहळ
    जहाज खड़ी रे दरियाव में
    झटका चल तलवार...
    नीर भरो थारा...

(४) मार मीठा ईना सबक,
    आरे करु पैली रे पार
    दास दल्लुजा की बिनती
    राखो चरण अधार...
    नीर भरो थारा...