भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैली हुई आ मन-झील बाबा / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:18, 16 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैली हुई आ मन-झील बाबा
गाभां थकां उधाड़ो डील बाबा

कुण जाणै कद धुड़ जावै ओ घर
भींतां में रैवै नित सील बाबा

रास इत्ती ना ताणो सांस घुटै
दिरावो अब तो कीं ढील बाबा

ऐ दुख सोखता फिरै म्हानै इंयां
सोधै मांस जाणै चील बाबा

पासै री कांई किंयां ई पड़ै
सूक थारी थारी लील बाबा