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मोर गांव / ध्रुव कुमार वर्मा

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फूल कांस के थारी असन तरिया
सतजुग के सियान पार के पीपर
खेतखार के धान भुंया के मया
गावय बन कुकरा ह जस ल जेकर।

बारी बखरी में झडड़े हे अब्बड़
खेखसी, कुंदरू, कोहड़ा अउर करेला
जइसे भाई असन मिलके रइ थे
सुखरू, सोनू मंगलूराम, भगेला।

अंगना में तुलसी के सुघ्घर चौरा
अऊरदीया के चारों मुड़ा अंजोर
अइसे लागत हाबय मूंड उघारे
हांसत हे ककरो आंखी के कोर।

धाम बिहानिया छानही ऊपर बइठे
जइसे ककरो मेंहदी रचे हथेरी
कऊवा हा को जनी का गोठियाथे
काकर गोठ ल आके घेरी-भेरी।

सूआ, पडकी, मैना असन लइका
खोर गली मां खेल खेल मटकाथे
कूंआ पार मां मोटियारी सकलाके
भरथे तेकर ले जादा छलकाथे।
ककरो मांघ के टिकली असन सुकवा
बड़े बिहनिया कुकरा अलख जगाथे।
अंगना बाहरत भौजी हाथ के चूरी
मोर भइय्या के मया ल गोठियाथे।