भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोरया आछो बोल्यो रे / राजस्थानी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:54, 9 सितम्बर 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने
मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने, रात ने, रात ने
औ, म्हारे हिवडे में बेगी रे गुजार मोरिया
आछो बोलियों रे ढलती रात ने