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मौन / प्रियंकर

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कुछ समय
उन
स्मृतियों के
प्रवाह में
बहना चाहता हूँ
और तुमसे
लय में कुछ
कहना चाहता हूँ

पर सामने जब
निश्छलता की
साक्षात प्रतिमा हो
तो कोई क्या कहे
बेहतर है
मन से
मान दे
निश्छलता को
सादगी को
मौन रहे ।