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मौहब्बत / नरेश चंद्रकर

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जितने से घाव सूखकर ठीक हो जाए
जितने से अमरूद पककर पीला हो जाए
जितने से माटी के पात्र में जल थिर जाए
जितने से स्वेद-कण सूख जाए
...जितने से मूंग में अंकुर निकल आए
जितने से सुई पिरोई जाए
उतनी-सी मुहब्बत मुझे दो... !!