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या रमां एक तूं दांनां / रैदास

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।। राग जंगली गौड़ी।।
  
या रमां एक तूं दांनां, तेरा आदू बैश्नौं।
तू सुलितांन सुलितांनां बंदा सकिसंता रजांनां।। टेक।।
मैं बेदियांनत बदनजर दे, गोस गैर गुफतार।
बेअदब बदबखत बीरां, बेअकलि बदकार।।१।।
मैं गुनहगार गुमराह गाफिल, कंम दिला करतार।
तूँ दयाल ददि हद दांवन, मैं हिरसिया हुसियार।।२।।
यहु तन हस्त खस्त खराब, खातिर अंदेसा बिसियार।
रैदास दास असांन, साहिब देहु अब दीदार।।३।।