भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यादें -1 / स्वदेश भारती

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:55, 2 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्वदेश भारती |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हें याद करता हूँ —
जब सतरँगी आकाश अपनी बाँहों में
वसन्त को ख़ुशी भर लेता है
नए-नए फूलों के कम्पन में
प्रेमाकुल सँगीत फूट पड़ता है

तुम्हें याद करता हूँ —
पावस के बादलों की घुमड़ने पर
शरद की तुषार-धवल चितवन पर
मन की उजास भर

तुम्हें याद करता हूँ —
शिरीष के पत्ते जब लिखते हैं
थिरकती हुई हवा के पँखों पर गोपनकथा
नीरव गम्भीर काली रात की बाँहों में
छुपा लेती निस्तब्धता
हाहाकार करती शताब्दी की
कातर अन्तर्व्यथा

तुम्हें याद करता हूँ —
जब कुहासे के बीच चमकता है सूरज
चलता नए समय का रथ
हरे-भरे जीवन-अस्तित्व के बीच
सहेजता जिजीविषा के सूने गन्तव्य-पथ
गहन निराशा और त्रासद अन्धकार में
तुम्हें याद करता हूँ ।

”’लीजिए, अब पढ़िए, इस कविता का अँग्रेज़ी अनुवाद”’
                   Swadesh Bharati
                    Reminiscences

I remember you —
when the seven-hued sky finds
In its arms the Spring's joyfulness
And lover's love song vibrates in the quivering fresh flowers.

I remember you —
When the rain clouds
darken the day's sky
and the autumn looks snow white
when the spirit
is enlightend with twilight.

I remember you —
when the ancient
acacia-leaves write about
their secret intentions
on the wings of air dancing
with expressive gestures
And the soundless deep black night
Spreads its arms to conceal its silence
like the century's restless inner wailing.

I remember you —
When the bright sun shines over in the mist
The chariot of new time moves on amidst
The green fruitful span of life's existence
And provides us strength on the solitary path of
longing for living during extreme frustration
in darkness agonising any next moment
I remember you.