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यादों के बादल भेजे थे, पहुँचे होंगे / सुरेन्द्र कुमार वत्स

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यादों के बादल भेजे थे, पहुँचे होंगे।
ओस में भीगे पल भेजे थे, पहुँचे होंगे।

अधर काँपते, भीगी पलकें, पीली साड़ी,
गेंदा औ' पीपल भेजे थे, पहुँचे होंगे।

माँ ने जी का हाल छिपा बिटिया को लिक्खा,
सोने के कुण्डल भेजे थे, पहुँचे होंगे।

सीमा से आनेवाली नदियाँ लोहित हैं,
हमने दल-के-दल भेजे थे पहुँचे होंगे।

तुमने उलझे प्रश्नों की भेजी थी गठरी,
हमने बस कुछ हल भेजे थे, पहुँचे होंगे।