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ये कौण सी नीति है / दयाचंद मायना

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ये कौण सी नीति है सारी दुनिया गेल्यां बीती है
लोगो सुणयो

कार फैक्ट्री सेठों की कहीं होटल मील बनाते हैं
कहीं इंद्रा झील बनाते हैं
गरीबां का गल घोटण खातर रेशम रील बनाते हैं
कहीं बोतल सील बनाते हैं संसार दिवानी पीती है
सारी दुनिया गेल्यां बीती है...

ढूंड झोंपड़ी तोड़ फोड़ गरीब उजाड़े जाते हैं
शहरों से ताड़े जाते हैं
हाय राम रे शोर करैं तै डंडे पाड़े जाते हैं
कभी किये उघाड़े जाते हैं
ये कैसी रसम रीति है
सारी दुनिया गेल्यां बीती है...

देखो रै इस राम राज म्हं हांगा जोरी चलती है
रिश्वत खोरी चलती है
रोब जमावैं ब्लैक कमावैं लुटा चोरी चलती है
नित जीभ चटोरी चलती है क्य जीवन दुनिया जीती है
सारी दुनिया गेल्यां बीती है...

टुकड़े-टुकड़े कर डाले भारत म्हं फूट घणी होगी
और तोड़म टूट घणी होगी
कोण सुणै गरीबां गेल्यां मारम कूट घणी होगी
गुंड्यां की छूट घणी होगी, गल दयाचन्द नै कीती है
सारी दुनिया गेल्यां बीती है...