भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए / मख़दूम मोहिउद्दीन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:01, 14 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मख़दूम मोहिउद्दीन |संग्रह=बिसात-ए-रक़्स / मख़दू…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए
जिलों<ref>परछाहीं, आभा</ref> में चाँदनी रातों का एहतमाम लिए

चटक रही है किसी याद की कली दिल में
नज़र में रक़्स-ए बहाराँ की सुबहो शाम लिए

हुजूमे बादा-ओ-गुल<ref>मदिरा और फूलों के समूह</ref> में हुजूमे याराँ में
किसी निगाह ने झुक कर मेरे सलाम लिए

किसी क़्याल की ख़ुशबू किसी बदन की महक
दर-ए-कफ़स पे खड़ी है सबा पयाम लिए

महक-महक के जगाती रही नसीम-ए-सहर<ref>सुबह की ख़ुशबू</ref>
लबों पे यारे मसीहा नफ़स का नाम लिए

बजा रहा था कहीं दूर कोई शहनाई
उठा हूँ, आँखों में इक ख़्वाब-ए नातमाम<ref>अधूरा स्वप्न</ref> लिए

शब्दार्थ
<references/>