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रंग चेहरे पे घुला हो जैसे / नूर जहाँ 'सरवत'
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रंग चेहरे पे घुला हो जैसे
आईना देख रहा हो जैसे
याद है उस से बिछड़ने का समाँ
शाख़ से फूल जुदा हो जैसे
हर क़दम सहते हैं लम्हों का अज़ाब
ज़िंदगी कोई ख़ता हो जैसे
यूँ जगा देती है दिल की धड़कन
उस के क़दमों की सदा हो जैसे
जिंदगी यूँ है गुरेज़ाँ ‘सरवत’
हम ने कुछ माँग लिया हो जैसे