भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रचिएक कोहबर लिखलूँ हम कोहबर / मगही

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:31, 17 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatMagahiR...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रचिएक<ref>रचकर</ref> कोहबर लिखलूँ हम कोहबर।
लिखलूँ हम मनचित लाय, अनजान लिखुँ कोहबर हे॥1॥
सेहि पइसो सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा।
जवरे दुलहिनियाँ संघें साथ, लिखुँ कोहबर॥2॥
रसे रसे डोलहइ चुनरी लगल बेनियाँ।
होवे लगल<ref>होने लगा</ref> दुलहा दुलहिन बात, अनजान लिखूँ कोहबर॥3॥
हम त हिओ<ref>हूँ</ref> धनि तोहर परनमा।
तू हका<ref>हो</ref> हमर परान, अनजान लिखुँ कोहबर॥4॥

शब्दार्थ
<references/>