भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रसायन / अनिता मंडा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:14, 11 जनवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिता मंडा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत दिनों बाद फ़ोन लगाया था
फिर भी
"हाँ-हूँ" में कट गया

एक गिलास पानी से निगले
गले में भर आये
रोके गए आँसुओं के गोले

बात क्या होती
वो तो घुल चुकी थी
आँसू, पानी, हवा के रसायन में।