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रांमतिया / सत्यप्रकाश जोशी

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मत खोसौ रे टाबरां रै हाथां सूं रामतिया
अै अबोध कांई जांणै
थारै जीवण री आंटां ?
बिलमावै बाजणा खुणखुणिया
रंग-बिरंगा, गोळ-गोळ, चीकणा,
अैंने पाळणा में
उर जगावै अैंरी चेतना में
नाद अर रंग रै ओळखांण री उछाळ !
देख्यौ कोनी-
बौ घाल लियौ आपरा मूंडा में रमेकड़ौ
मसूंड़ा री खाज मिटावण नै
कै सीखण नै रंग, रूप अर सुरां रौ संसार !
कैड़ा हाथ-पग चलावै रे बाळकौ
आपरा रामतियां तांई !
दे दौ चूसणी तौ रोवतौ रै जावै !
बाजावौ रूणझुणियौ
तौ चमक चेतै व्है जावै।

हंसै है म्हाटौ
बांदरा नै ढोल बजावतौ देख
सिरकती मोटर, रेल, जहाज।
चाबी अर गत रौ ग्यांन देवै टाबर नै।

मत खोसौ रै
टाबर रै साधारण विकास रा जंतर।
रमेकड़ौ कोनी बंदूक अर तमंचौ।
मोटा मोटा टाबरां रै हाथां में क्यूं दियौ थै
अेटमबम फाइटर हवाई जहाज,
लेजर किरण रा प्रक्षेपास्त्र।
वौ छौरौ पटक दियौ
अकास में ऊठतौ अंतरिच्छ यांन
धरती माथै बैठौ
कम्प्यूटरां री मदद सूं
हवा में अेक किरण उछाळ !

क्यूं करौ रे कुचमादां टाबरां साथै
अैने रंग, रूप, सबद,
गति-मुगती रौ म्यांनौ तौ जांणण दौ
तोड़णौ भांगणौ क्यूं सिाखावौ
आ किसी संस्क्रति है थांरी ?

कांई तौ समझै टाबर
टैंक अर दमकळ रौ फरक।
ताप, गोळा, बम अर फूलां रौ फरक !
भेळौ सोवती गुड़िया
अर रण में बिछियोड़ी ल्हासां रौ फरक !
मटक-मटक चालता जोकर
अर फाइटर रै आवेग रौ फरक !
देवै जिकौ ई ले लै !

औ कठोर धातुवां रा रमेकड़ा
तीखी धार वाळा, अणियाळा,
मारक-संहारक।
लागगी छोरा रै तौ कुण करैला पाटा पीड़
कुण करैला सेवा
जद सगळा ई व्है जावैला खूंखार,
स्वारथी, संग्रह माथै घणियाप करणिया,
दुस्ट, नीच
लोगां नै पीड़ पुगावणिया।

क्यूं कोनी देवौ छोरियां नै
सौरमवाळा फूल
सात्यूं सुरां रौ संगीत,
ठुमकती चाल
अर इन्दरधनख रा सात्यूं रंग।
अर मिनख नै आगै बधावण रनै
भूरां केसांवाळी गुड़िया
जिकी सोवै जद आंख्यां खोल मुजरौ करै।
रो मत बेटा,
म्हैं देवूंला थनै रांमतिया सिरजण रा
हरख अर मोद रा,
ग्यांन विग्यान रा
संस्कति रै सांचा संस्कारां रा।