भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रेतघड़ी / राजेश कुमार व्यास

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:50, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पून धोवै
धोरां मंड्या पगलिया
कीं नीं रैवे बाकी
रेतघड़ी
कण-कण
री करै गिनती
बित्यौड़े नै करती
मुगत।