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लो चुप्पी साध ली माहौल ने सहमे शजर बाबा / सतपाल 'ख़याल'

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लो चुप्पी साध ली माहौल ने सहमे शजर बाबा
किसी तूफ़ान की इन बस्तियों पर है नज़र बाबा

है अब तो मौसमों में ज़हर खुलकर साँस लें कैसे
हवा है आजकल कैसी तुझे कुछ है खबर बाबा

ये माथा घिस रहे हो जिस की चौखट पर बराबर तुम
उठा के सर ज़रा देखो है उस पर कुछ असर बाबा

न है वो नीम, न बरगद, न है गोरी सी वो लड़की
जिसे छोड़ा था कल मैंने यही है वो नगर बाबा

न कोई मील पत्थर है पता दे दे जो दूरी का
ये कैसी है डगर बाबा ये कैसा है सफ़र बाबा