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वसूली की अब चिंताएं बढ़ गईं / प्रमोद कौंसवाल

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वसूली की अब चिंताएं बढ़ गईं
दरबदर कहां जाएं
चीख़ते हुए उनके गले जाम हो गए
उनको तो नहीं चाहिए
आठ सौ पैंतीस मीटर ऊंचाई वाली इमारत
उन पर दया करो
कौन थे वो हाथ थे जिन्होंने गिरा डाली टनल
बंद कर दी हज़ारों घरों की कुंडियां
छाम एक शहर
उप्पू एक बड़ा गांव
प्रतापनगर एक तहसील
एक खेत जिसमें मेरे दादाजी
अन्न उगाते
उसे उठाकर अपनी कमर पर
ढोते रहे ढोते रहे और थककर मर गए आख़िर
इन सबके फोटू हैं
क्या आप इतने हिम्मतदार हैं
आप इनको देखें
और रुक न जाए आपकी सांसों की धड़कनें