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वा ते समदिन कव्हय, मऽ मायका जाऊ / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

वा ते समदिन कव्हय, मऽ मायका जाऊ
ते कोखऽ साथ लगाऊ मोरे लाल
असो हमरो भैया चतुर सुजान
ते ओकाच् साथ लगाऊ मोरे लाल
दारी खऽ ले चलो जंगल-जंगल
तेन्दू चार खिलाहूँ, मोरे लाल
ओखऽ ले चलो बड़ की छाय
ते झटक चादरा बिछाहूँ मोरे लाल
दारी उस्या रख्यो श्रीरंग पाल
ते पायतन रख्या चोलना बे लाल
दारी को झटक लियो श्रीरंगपाल
ते लटक रह्यो चोलना बे लाल
वा ते समदिन कव्हय मऽ मायका जाऊ
ते कोखऽ साथ लगाऊ, मोरे लाल