भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वापसी / एज़रा पाउंड

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:53, 18 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एज़रा पाउंड |अनुवादक=अनिल जनविजय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देखो, वे लौट रहे हैं; आह,
देखो उनकी अटपटी चाल और धीमे क़दम
हिचकिचाहट से भरे उनके क़दम लड़खड़ा रहे हैं
                               और डाँवाडोल हो रहे हैं
देखो, वे लौट रहे हैं, एक-एक करके

जैसे बर्फ़ गिरते हुए हिचकिचा रही हो
             और हवा कुड़कुड़ा रही हो
आधे झुके हुए से,
         कुछ-कुछ अधमरे से
ये वो देवता हैं विजय के
          परम-पावन

देवता हैं वे जीतते थे जो हमेशा
उनके साथ हैं रुपहले शिकारी कुत्ते
जो अपनी नाक सुरसुरा रहे हैं
           और कोई गन्ध खोज रहे हैं हवा में  !

              रुको ! रुको !
ये तो बहुत तेज़ और फुरतीले हुआ करते थे
कोई भी गन्ध सूँघ लेते थे तुरन्त ही
हमारा ख़ून, हमारी जान हुआ करते थे ये
  
अब इनके पट्टे ढीले पड़ चुके हैं
और इन पट्टों को थामने वाले
कमज़ोर और पीले पड़ चुके हैं !

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए अब मूल अँग्रेज़ी में यही कविता पढ़िए
                Ezra Pound
                The Return

See, they return; ah, see the tentative
Movements, and the slow feet,
The trouble in the pace and the uncertain
Wavering!
 
See, they return, one, and by one,
With fear, as half-awakened;
As if the snow should hesitate
And murmur in the wind,
            and half turn back;
These were the “Wing’d-with-Awe,"
            inviolable.
 
Gods of the wingèd shoe!
With them the silver hounds,
            sniffing the trace of air!
 
Haie! Haie!
    These were the swift to harry;
These the keen-scented;
These were the souls of blood.
 
Slow on the leash,
            pallid the leash-men!