भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विषाद - 2 / विजेंद्र एस विज

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:25, 7 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेंद्र एस विज |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उन्होंने मुझे शामिल नहीं किया
अपनी बिरादरी में....
सभी परिभाषाओं को नकारते हुए
मैंने छलांग लगाने की कोशीश की
तो आत्म विश्वास आड़े आ गया
अब वह मुझे पाताल की ओर
धकेले लिए जा रहा है...