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वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली / पंजाबी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
 
कीता मुड़के पाणी पाणी,
भिज गया मेरा सूट जापानी,
पिघले गर्मी नाल जवानी,
मखणा नाल जो पाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
 
रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी,
कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी,
फूँक भरा ए पख्खा खजूरी,
तलियां दी जड़ गाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
 
रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा,
सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा,
मन्न लै आखा ना ला लारा,
कहन्दीऊ हीर सियाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।

बिजली दे पख्खेयाँ लाईयां बहारां,
सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां,
झल्लन पखियाँ पिंड दीआं नारां,
आये न बिजली हाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।