भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वेदना के गीत गाये / विशाल समर्पित

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:15, 8 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विशाल समर्पित |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब कभी
तुम याद आये
वेदना के गीत गाये

क्या लिखूँ तुम पर बताओ
व्यंजना के भाव छिछले
आँख रोना चाहती पर
आँख से आँसू न निकले

आज मेरे
मन नगर में
याद के फिर मेघ छाये... (1)

व्योम के अनगिन सितारों
में तुम्हें मैं खोजता हूँ
बंद करके आँख अपनी
जब कभी भी सोचता हूँ

तुम नज़र
आते मुझे प्रिय
आज भी पलकें झुकाये... (2)

तुम नहीं हो पास मेरे
पर तुम्हारी रिक्तता है
जा चुके हो दूर इतना
अब न लौटोगे पता है

किंतु फिर
भी बाबरा मन
बोझ यादों का उठाये... (3)