भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वो रंज़िश में नहीं अब प्यार में है / विनय मिश्र

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:10, 6 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वो रंज़िश में नहीं अब प्यार में है
मेरा दुश्मन नए किरदार में है

खुशी के साथ ग्लोबल आपदाएँ
भई खतरा तो हर व्यापार में है

यहांँ सब बदहवासी में खड़े हैं
ये ठहरी ज़िन्दगी रफ्तार में है

नहीं समझेगा कोई दर्द तेरा
तड़पना टूटना बेकार में है

कोई उम्मीद हो जिसमें, खबर वह
बताओ क्या किसी अख़बार में है

 हवा मँझधार में लाई है लेकिन
 अभी भी हौसला पतवार में है

 घरों में आज सूनापन है केवल
यहांँ रौनक तो बस बाज़ार में है