Last modified on 16 नवम्बर 2009, at 02:08

शनिवार की ओर / यानिस रित्सोस

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:08, 16 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=यानिस रित्सोस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> एक गहरी आवाज़ सुनाई …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक गहरी आवाज़ सुनाई दी और भी गहरी रात में।
फिर टैंक गुज़रे। भोर हुई।
तब आवाज़ फिर से सुनाई दी, थोड़ी धीमी, कुछ और दूर।
दीवार सफ़ेद थी। रोटी लाल थी। सीढ़ी
लगभग लंबाकार पुरानी सड़कबत्ती से सटी हुई थी।
बूढी औरत काले पत्थरों को एक-एक कर
जमा करती जाती थी काग़ज़ के एक थैले में।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल