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शराबी की सूक्तियाँ-31-40 / कृष्ण कल्पित

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इकतीस

बाज़ार कुछ नही बिगाड़ पाया
शराबियों का

हालाँकि कई बार पेश किए गए
प्लास्टिक के शराबी।

बत्तीस

आजकल कवि भी होने लगे हैं सफल

आज तक नहीं सुना गया
कभी हुआ है कोई सफल शराबी।

तैंतीस

कवियों की छोड़िए
कुत्ते भी जहाँ पा जाते हैं पदक
कभी नहीं सुना गया
किसी शराबी को पुरस्कृत किया गया।

चौंतीस

पटना का शराबी कहना ठीक नहीं

कंकड़बाग़ के शराबी से
कितना अलग और अलबेला है
इनकमटैक्स गोलम्बर का शराबी।

पैंतीस

कभी प्रकाश में नहीं आता शराबी

अन्धेरे में धीरे-धीरे
विलीन हो जाता है।

छत्तीस

शराबी के बच्चे
अक्सर शराब नहीं पीते।

सैंतीस

स्त्रियाँ सुलाती हैं
डगमगाते शराबियों को

स्त्रियों ने बचा रखी है
शराबियों की कौम।

अड़तीस

स्त्रियों के ँसुओं से जो बनती है
उस शराब का
कोई जवाब नहीं।

उनचालीस

कभी नहीं देखा गया
किसी शराबी को
भूख से मरते हुए।

चालीस

यात्राएँ टालता रहता है शराबी

पता नही वहाँ पर
कैसी शराब मिले
कैसे शराबी!