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शलोम / समीह अल कासिम

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हिब्रू शब्द शलोम का मतलब अमन होता है ।

किसी और को गाने दो अमन के गीत
दोस्ती और भाईचारे और मेल-मिलाप के गीत
किसी और को गाने दो कौवों के बारे में
कोई ऐसा जो मेरे गीतों में बरबादी का सोग मना सके
जो गा सके कबूतरख़ानों के मलबे पर मँडराते उस काले उल्लू के बारे में

किसी और को गाने दो अमन के गीत
जबकि खेतों से पुकारता है अनाज
कटाई करने वालों के गीतों की गूँज के लिए तरसता हुआ

किसी और को गाने दो अमन के गीत
जबकि उधर, कँटीले तारों की बाड़ के पीछे
अन्धेरे के सीने में
तम्बुओं के शहर दर्द से बोझिल हैं
उनके बाशिन्दे
यादों का मर्ज़ दिल में छुपाए हुए
ग़म और गुस्से की बस्ती में गुज़ारते हैं दिन

जबकि उधर, हमारे लोगों में
मासूमों में, जिन्होंने किसी की ज़िन्दगी को
कभी खरोंच तक नहीं लगाई
फूँक कर बुझाए जा रहे हैं ज़िन्दगी के चिराग़

और इसी बीच, यहाँ
कितने सारे आ जुटे हैं...इतने सारे लोग !
उनके बाप-दादाओं ने कितना बोया था उनके लिए
और अफ़सोस कि दूसरों के लिए भी ।
बरसों का यह दर्द, यह विरासत अब उनकी हुई !
इसलिए भरने दो भूखों को अपना पेट
और यतीमों को अदावत की दावत की
जूठन पर पलने दो
किसी और को गाने दो अमन के गीत
क्योंकि मेरे वतन में, इसकी पहाड़ियों और इसकी वादी में
अमन का क़त्ल हुआ है ।